कोरोनावायरस के असर की वजह से भारतीय बैंकों का एनपीए रेश्यो इस साल 1.9% बढ़ सकता है। क्रेडिट कॉस्ट में 1.30% इजाफा हो सकता है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की एशिया-पैसिफिक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र के बैंकों की क्रेडिट कॉस्ट में 300 अरब डॉलर (22.50 लाख करोड़ रुपए) का इजाफा हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के बैंकों का एनपीए 2% और क्रेडिट लॉस 1% बढ़ने की आशंका है।
एशिया-पैसिफिक के बैंकों का एनपीए 45 लाख करोड़ रुपए बढ़ेगा
रेटिंग एजेंसी के क्रेडिट एनालिस्ट गेविन गनिंग का कहना है कि कोरोनावायरस आने वाले दिनों में और तेजी से फैलेगा। इसका असर लंबे समय तक रहेगा। इस वजह से आर्थिक संकट और बढ़ेगा। ऐसे में बैंकों के क्रेडिट पर असर पड़ेगा। रकम में बात करें तो इस साल एशिया-पैसिफिक के बैंकों के एनपीए में 600 अरब डॉलर (45 लाख करोड़ रुपए) का इजाफा होगा।
बैंकिंग सेक्टर की रेटिंग सरकार, केंद्रीय बैंकों के उपायों पर निर्भर करेगी
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोनावायरस की वजह से आर्थिक दिक्कतों के चलते बैंकिंग सेक्टर की रेटिंग के लिए भी चुनौती होगी। बैंकों की एसेट क्वालिटी सरकार और रेग्युलेटर्स के फैसलों के असर पर निर्भर करेगी। एशिया-पैसिफिक क्षेत्र की सरकारें और केंद्रीय बैंक कोरोनावायरस के इकोनॉमी पर असर को देखते हुए राहत के उपाय कर रहे हैं।
आरबीआई ने बैंकों, मिडिल क्लास को राहत के उपाय किए हैं
पिछले दिनों आरबीआई ने रेपो रेट में 0.75% कमी की थी। साथ ही कैश रिजर्व रेश्यो में कमी और दूसरे उपायों के जरिए बैंकों के लिए 3.74 लाख करोड़ रुपए की नकदी के इंतजाम किए थे। आम आदमी को राहत देने के लिए लोन की किश्त में तीन महीने की राहत भी दी गई है। गरीब, किसानों और मजदूरों को राहत देने के लिए सरकार 1.70 लाख करोड़ रुपए का पैकेज घोषित कर चुकी है।
कोरोनावायरस की वजह से भारतीय बैंकों के एनपीए में इस साल 1.9% बढ़ोतरी हो सकती है